नाम को भजकर ही भगवान की प्राप्ति सम्भव :आचार्य अतुल कृष्ण
0 कलश यात्रा के साथ मेहर वाटिका में प्रारम्भ हुई ठण्डुराम परिवार की भागवत कथा
0 अक्षरों की मूर्ति के रूप में भगवान-श्रीमद् भागवत में विराजमान
कोरबा। ठण्डुराम परिवार (कादमा वाले) कोरबा के द्वारा श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आयोजन मेहर वाटिका, अग्रसेन मार्ग में 5 से 12 सितंबर तक कराया जा रहा है जिसका शुभारंभ आज भव्य कलश शोभायात्रा के साथ हुआ।
श्री राम जानकी मंदिर पुराना बस स्टैंड से पूजा अर्चना के पश्चात कलश यात्रा प्रारंभ होकर कथा स्थल मैहर वाटिका पहुंचकर संपन्न हुई।
यहां श्री गणेश की आराधना कर भागवत पुराण को व्यास पीठ पर विराजित किया गया।व्यासपीठ से आचार्य अतुल कृष्ण भारद्वाज के द्वारा भागवत भगवान की पूजा अर्चना बाद कथा के महात्म्य का वर्णन किया गया।
अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा हमारी जीवन पद्धति की सभी समस्याओं का निदान है, जिसको श्रवण कर अपने जीवन में उतार कर प्रबन्धन को उचित मार्ग मिल सकता है।
गोकर्ण प्रसंग पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि कथा को हृदय से सुनकर-मनन कर अपने जीवन में ग्रहण करने से इस भवसागर से पार हो सकते हैं। ज्ञान रूपी दीपक प्रत्येक व्यक्ति में विराजमान है, परन्तु वह व्यक्ति के जीवन में प्रखर रूप में विकास हेतु भागवत कथा ज्ञान के श्रवण से ही प्राप्त होती है और उसे व्यक्ति अपने जीवन में अखण्ड प्रज्वलित रख सकता है। इस कलयुग के झंझावात उस ज्ञान रूपी दीपक को बुझाने की पूरी कौशिश करते रहते हैं, लेकिन कलयुग में प्रभु का नाम ही पर्याप्त है।
प्रभु के नाम को भज कर ही भक्त प्रहलाद, बालक ध्रुव, मीराबाई, सन्त रविदास, कबीरदास, चैतन्य महाप्रभु सभी इस भवसागर से पार हो गए। आज नाम महिमा के कारण ही लाखों अंग्रेज वैष्णव हो गए। विश्व के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता स्टीफन स्पील वर्ग, जूलिया राबर्ट्स प्रसिद्ध अभिनेत्री, लन्दन के उद्योगपति फोर्ड इत्यादि सभी हिन्दू धर्म स्वीकार कर वैष्णव हो गए।
आचार्य ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण से अन्तिम समय उद्धव ने प्रश्न किया कि प्रभु आप इस संसार से जा रहे हैं, तो हम भक्तगण आपका दर्शन कब, किस रूप में और कहाँ प्राप्त कर सकते हैं? प्रभु श्रीकृष्ण ने कहा कि मेरा दर्शन मेरे नाम, मेरे धाम एवं मेरे ग्रन्थ में कर सकते हैं। जैसे आप सोने, चाँदी, लकड़ी एवं मिट्टी की मूर्ति में दर्शन करते हैं, उसी तरह अक्षरों के रूप में हम अपने ग्रन्थ श्रीमद् भागवत एवं श्री मानस् में विराजमान रहेंगे, जो आज विश्व में सर्वाधिक होने वाली कथा के रूप में विद्यमान है।
आज की कथा में मुख्य यजमान आयोजक रामचन्द्र रघुनाथ प्रसाद अग्रवाल, लक्ष्मीनारायण रामानंद अग्रवाल, कांशीराम रामावतार अग्रवाल, प्यारेलाल रामनिवास अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में परिजन ,नगरजन, भागवत प्रेमी उपस्थित रहे।