Uncategorized

बालको में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस धूमधाम से मनाया गया…

बालको में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस धूमधाम से मनाया गया

पुरुष को अकसर ताकत एवं हर परिस्थितियों में डटे रहने का प्रतीक माना जाता हैं हालांकि उनकी कहानियाँ इन पारंपरिक धारणाओं से कहीं ज़्यादा व्यापक हैं। घर के भरण-पोषण के साथ-साथ वे देखभाल, मार्गदर्शक, कला से जुड़ाव और खुद को बेहतर करने वाले भी हैं। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस पर बालको अपने संयंत्र से जुड़े सभी पुरुषों की विविध पहचान का सम्मान करता है। ऐसे व्यक्ति जिनकी करुणा, रचनात्मकता और समर्पण न केवल रूढ़ियों को तोड़ते हैं बल्कि एक संतुलित और न्यायसंगत दुनिया बनाने के लिए भी प्रेरित करते हैं।

बालको अस्पताल के मरीज अटेंडर विकास महंत देखभाल को अपने उद्देश्य की तरह देखते हैं। उन्होंने कहा कि मरीज की सेवा करने में मुझे खुशी मिलती है। हर दिन लोगों की सेवा के लिए तत्पर रहता हूँ। मरीजों की मदद करना, ख्याल रखना और उनकी मुस्कान देखना मुझे याद दिलाता है कि देखभाल मरीज के उपचार को आसान बना देता है। उन्होंने कहा कि मेरा काम, मुझे जीवन में आगे बढ़ने में मदद तथा परोपकारी बनाता है। इसी तरह प्लांट कैंटीन के सुपरवाईजर आर. प्रदीप पांडिकर ने कहा कि आतिथ्य सिर्फ खाना परोसना या रहने की व्यवस्था करना नहीं वरन आपसी जुड़ाव एवं मानव सेवा के बारे में है। मैं यह सुनिश्चित करता हूं कि बालको में आने वाले आगंतुकों को एक सहज अनुभव मिले। उनके चेहरों पर मुस्कान देखना मेरे लिए सबसे बड़ी संतुष्टि है।

बालको में ऑपरेशन एडं मेंटेनेंस असिस्टेंट मैनेजर अंकुर सरकार अपने पालतू जानवरों के साथ बेहद जुड़ाव रखते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता ने मुझे सभी जीवों का सम्मान करना सिखाया। मेरी मछलियाँ, पक्षी और कुत्ता काम के लंबे दिन के बाद मुझे बिना शर्त प्यार देते हैं। वे मुझे मधुर संबंधों की याद दिलाते हैं। बालको में सीनियर प्रोसेस टेक्नीशियन हरीश देवांगन के लिए कला सच्चे साथी जैसा है। वह याद करते हैं कि बचपन से ही उन्हें पेंटिंग में सुकून मिला है। मेरी रचनाएँ मुझसे बात करती हैं जो मुझे जीवन में आगे बढ़ने एवं धैर्य रखना सिखाती हैं। इस शौक ने मुझे पहचान भी दिलाई है जिसके लिए मैं बालको का बहुत आभारी हूँ।

बालको जीईटी हॉस्टल की रसोई में चीफ शेफ जीत सिंह नेगी अपने हुनर पर गर्व करते हुए बताते हैं कि जैसे-जैसे मेरे मसालों की खुशबू फैलती है, वैसे-वैसे मेरी खुशी भी फैलती है। रोजाना 200 से अधिक लोगों को घर जैसा खाना परोसना, भागदौड़ के बावजूद भी खुशी मिलती है। बालको पॉटलाइन में कार्यरत हीरामणि वैष्णव ने अपनी कविता के बारे में बताते हुए कहते है कि मेरी कुछ कविताएं मेरे काम से प्रेरित हैं। शुरू में कविता सिर्फ मेरे लिए थी लेकिन मेरे साथियों से मिले प्रोत्साहन ने इसे कुछ ऐसा बना दिया जिसे मैं अब दुनिया के साथ साझा करता हूं।

अपने कार्यबल में बहुमुखी पुरुषों का जश्न मनाते हुए बालको ने अपने संयंत्र में विभिन्न कार्यक्रमों के साथ अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया। सभी कार्य क्षेत्रो के पुरुषों को मान्यता दी गई और उनकी सराहना की गई। इस उत्सव ने पुरुषों द्वारा निभाई जाने वाली विविध भूमिकाओं को उजागर किया, चाहे वे काम पर हों या उसके अलावा रूढ़ियों को तोड़ने तथा खुद को परिभाषित करते हुए।

बालको एक समावेशी कार्यस्थल बनाने के लिए अपने समर्पण की पुष्टि करता है, जहां हर इंसान बिना किसी लैंगिग भेदभाव के समग्र रूप से विकसित हो सकता है। पुरुषों की बहुमुखी पहचान को स्वीकार और सम्मान देकर बालको आपसी सम्मान, संतुलन और समानता पर आधारित संस्कृति को बढ़ावा देता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

https://shikharkeshri.com/wp-content/uploads/2024/10/Screenshot_2024-01-11-15-10-14-966-edit_com.miui_.gallery.jpg

Please consider supporting us by disabling your ad blocker