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शासकीय सेवकों द्वारा 07 दिवस के भीतर स्थानांतरण आदेश का पालन न किए जाने की स्थिति में संबंधित शासकीय सेवक के विरूद्ध निलम्बन की कार्यवाही की जाए…

शासकीय सेवकों द्वारा 07 दिवस के भीतर स्थानांतरण आदेश का पालन न किए जाने की स्थिति में संबंधित शासकीय सेवक के विरूद्ध निलम्बन की कार्यवाही की जाए…

अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित व्यक्ति के विरूद्ध “ब्रेक-इन-सर्विस” की कार्यवाही की जाए।

रायपुर/कोरबा। शासकीय सेवकों के पदस्थापना/स्थानांतरण के फलस्वरूप नवीन पदस्थापना स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने संबंध में अक्सर किए जाने वाले हीला हवाला के कारण प्रभावित होने वाले कार्यों के मद्देनजर छत्तीसगढ़ सरकार ने कठोर कदम उठाए हैं। शासन ने इस हेतु नियम-निर्देश जारी किए हैं जिनका अनिवार्यत: पालन सुनिश्चित करना होगा।

राज्य शासन द्वारा प्रशासनिक दृष्टिकोण से समय-समय पर अधिकारियों / कर्मचारियों का अन्यत्र पदस्थापना अथवा स्थानांतरित करते हुए अन्य कार्यालय में नवीन पदस्थापना की जाती है। यह बात देखने में आया है कि अन्यत्र पदस्थापना अथवा स्थानांतरण के फलस्वरूप प्रभावित अधिकारी/कर्मचारी अपने नवीन पदस्थापना स्थान पर उपस्थित होने के बजाय उक्त स्थानांतरण आदेश के विरूद्ध माननीय न्यायालय में याचिका दायर की जाती है। स्थानांतरण के ऐसे कई मामलों में माननीय न्यायालय द्वारा संबंधित अधिकारी अथवा कर्मचारी को स्थगन देते हैं। प्रायः उस अवधि में संबंधित अधिकारी/कर्मचारी अपने कर्तव्य से अनुपस्थित रहते हैं। साथ ही उस अवधि के लिए वेतन, भत्ते की मांग करते हैं, जब वे अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहते हैं। स्थानांतरण एक सतत् प्रक्रिया है। इसके पीछे शासन की यह मंशा रहती है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी योजनायें सुचारू रूप से संचालित हो सके, तथा शासकीय अधिकारियों / कर्मचारियों के अभाव में योजनाएं प्रभावित न हो। यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि जब कोई व्यक्ति शासकीय सेवा में नियोजित हो जाता है तो स्थानांतरण की प्रक्रिया सेवा की शर्तों में अंतर्निहित हो जाती है, जब तक कि सेवा की शर्तों को नियंत्रित करने वाले कुछ प्रावधानों के तहत इसे विशेष रूप से प्रतिबंधित नहीं किया जाता है। सेवा की ऐसी शर्तों और नियमों के तहत, किसी कर्मचारी को अपने वर्तमान पदस्थापना स्थान से भारमुक्त होने के बाद अनुपस्थित रहने या स्थानांतरण के फलस्वरूप नवीन पदस्थापना स्थान पर उपस्थित होने से इनकार करने का कोई अधिकार नहीं रह जाता है।

यद्यपि अपने स्थानांतरण से व्यथित शासकीय सेवक को स्थानांतरित स्थान पर उपस्थित होने तथा स्थानांतरण के विरूद्ध अपनी शिकायतों के निराकरण के लिए नियमों के तहत् उपलब्ध उपायों का लाभ उठाने का पूरा अधिकार है।

0 उपरोक्त परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए निम्नानुसार निर्देश प्रसारित किए जाते हैं :-
छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी निर्देश में कहा है कि स्थानांतरित किए गए शासकीय सेवक को स्थानांतरण आदेश जारी होने के 10 दिवस के भीतर कार्यमुक्त किया जाए। यदि संबंधित शासकीय सेवक निर्धारित समयावधि में कार्यमुक्त नहीं होता है तो उसे सक्ष्म अधिकारी द्वारा एकपक्षीय भारमुक्त करने के आदेश दिए जाएं तथा स्थानांतरण आदेश क्रियान्वित हुआ माना जाए। यदि शासकीय सेवक द्वारा स्थानांतरण आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो उसके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावे।

(2) शासकीय सेवकों द्वारा 07 दिवस के भीतर स्थानांतरण आदेश का पालन न किए जाने की स्थिति में संबंधित शासकीय सेवक के विरूद्ध निलम्बन की कार्यवाही की जाए और अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित व्यक्ति के विरूद्ध “ब्रेक-इन-सर्विस” की कार्यवाही की जाए।

(3) स्थानांतरित शासकीय सेवक यदि 07 दिनों से अधिक अवधि के लिए लघुकृत अवकाश लेता है तो उसे मेडिकल बोर्ड के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा जाए। यदि मेडिकल बोर्ड द्वारा अनुशंसा नहीं की जाती है अथवा शासकीय सेवक अन्य अवकाश के लिए आवेदन करता है या अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहता है तो ऐसी अवधि को अनाधिकृत अनुपस्थिति मानकर इसे “डाईज-नॉन” किया जाए।

(4) स्थानांतरित किए गए शासकीय सेवक का अवकाश नई पदस्थापना वाले कार्यालय से ही स्वीकृत किया जाएगा।

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