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पति के मौत के बाद उम्मीदें हो गई थी तबाह, पीएम जनमन योजना से मिली जीने की नई राह…पहाड़ी कोरवा संझई बाई का बन रहा पीएम जनमन….

पति के मौत के बाद उम्मीदें हो गई थी तबाह, पीएम जनमन योजना से मिली जीने की नई राह

पहाड़ी कोरवा संझई बाई का बन रहा पीएम जनमन आवासकोरबा 07 जनवरी 2025/ जंगल में रहने वाली पहाड़ी कोरवा संझई बाई गरीबी में जैसे भी थीं खुश थीं। जब तक पति जीवित थे, वही सुख-दुःख के साथी थे। इस बीच कच्चे मकान में रहते हुए कई बार इन्होंने सपने भी संजोए कि काश वे भी पक्का मकान में रह पाए। घर की परिस्थितियों के बीच पक्का मकान बन पाना आसान नहीं था, लेकिन पति के जीते जी संझई बाई को यह असंभव भी नहीं लगता था। उन्हें उम्मीद थी कि पति के रहते एक दिन पक्का मकान जरूर बन जायेगा, लेकिन अचानक से पति की मौत के बाद संझई बाई की सारी उम्मीद टूट कर बिखर गई, उनका सपना तबाह हो गया। पक्का मकान तो दूर… घर कैसे चलाना है ? अपने बच्चे का कैसे पालन-पोषण करना है..यह सब कच्चे मकान में रह रही संझई बाई की एक नई मुसीबत बन गई। वर्षों तक संझई बाई तकलीफ सहती रही। इस बीच जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पीएम जनमन योजना प्रारंभ की तो जंगल में विपरीत परिस्थितियों के बीच रहने वाली संझई बाई जैसी अनेक पहाड़ी कोरवा और अन्य विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों के भाग खुल गए। पति के मौत के साथ ही पक्के मकान के उम्मीदों को दफन कर चुकी पहाड़ी कोरवा संझई बाई को पीएम जनमन योजना से जीने की नई राह मिल गई है…।
    कोरबा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम सरडीह विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवाओं का एक बसाहट है। घने जंगल के बीच जीवन यापन करने वाले पहाड़ी कोरवाओं को जंगल में कई चुनौतियां का सामना करना पड़ता है। इसी बसाहट में रहने वाली पहाड़ी कोरवा संझई बाई भी है। जो शादी के बाद इस गाँव में आई और पति के साथ जैसे-तैसे जीवन यापन करती रही। जंगल जाना, बकरी चराना और वनोपज संग्रहण करना इनका मुख्य कार्य था। संझई बाई ने बताया कि वे कच्चे मकान में लंबे समय से रहते आए हैं। जंगल के बीच कच्चा मकान जीवन के लिए असुरक्षित तो है ही साथ ही बारिश के दिनों में मुसीबतों का एक पहाड़ जैसा भी है। जो बादल गरजने और तेज बारिश होने पर रह-रहकर हमे सताता है। उन्होंने बताया कि पति जब जीवित थे तब हम कच्चे मकान की बजाय पक्का मकान होने से ऐसे मुसीबतों से मुक्ति मिलने की बात सोचते थे। हालाँकि पक्का मकान बनवा लेना हमारे बस की बात नहीं थीं, फिर भी पति के जीवित रहते यह उम्मीद बरकरार थी कि कभी तो पकक मकान बन जायेगा। एक दिन बीमारी से पति की मौत हो गई। बहू की मौत के बाद एक बेटा था वह भी अपने चार छोटे बच्चो को छोड़कर चला गया। उनके ऊपर अपना और नाती को पालने की नई मुसीबत आन पड़ी। इस दौरान कच्चे मकान को पक्का बना लेने का सपना भी टूट गया। संझई बाई ने बताया कि वह कच्चे मकान में बारिश के दिनों की तकलीफों को सहती हुई रहती रही। पक्के मकान का उम्मीद पूरी तरह से छोड़ चुकी थी। एक दिन गाँव में जब अधिकारी आए और उनका पक्का मकान बनने की जानकारी दी तो उन्हें भरोसा नहीं हो रहा था। जब उनके खाते में पैसा आया तब यकीन हो गया कि वास्तव में उनका भी पक्का मकान बनेगा। अब जबकि संझई बाई का पक्का मकान बन रहा है तो उनकी पक्के मकान को लेकर बनीं सारी मुसीबतें खुशियों में तब्दील हो गई है। उनका कहना है कि बारिश के दिनों में जो तकलीफ उठानी पड़ती है अब आने वाले बारिश में नहीं उठानी पड़ेगी। हमारे लिए सरकार ने इतना सोचा और पक्का मकान बनवाकर हमारी तकलीफों को दूर करने का प्रयास किया है यह हम भूल नहीं पाएंगे। गौरतलब है कि जिले में रहने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा और बिरहोर परिवारों का पीएमजनमन योजना अंतर्गत पीएम आवास बन रहा है। प्रदेश में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय द्वारा भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हितग्राहियों को लाभान्वित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं।

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