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रजगामार:-सरपंच हुए पद पृथक…आगामी छह वर्षों के लिए किसी भी निर्वाचन हेतु अयोग्य घोषित…

छह वर्षों के लिए किसी भी निर्वाचन हेतु अयोग्य घोषित किया

रजगामार:- सरपंच हुए पद पृथक

  • आगामी छह वर्षों के लिए चुनाव लड़ने अयोग्य घोषित
    कोरबा । कोरबा जिला अंतर्गत ग्राम पंचायत रजगामार, जनपद पंचायत कोरबा की सरपंच रमूला राठिया को न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कोरबा द्वारा पद से पृथक कर दिया गया है। साथ ही, उन्हें छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 के तहत छह वर्षों के लिए किसी भी निर्वाचन हेतु अयोग्य घोषित किया गया है। यह कार्यवाही 15वें वित्त और मूलभूत निधियों में गंभीर वित्तीय अनियमितता पाए जाने के बाद की गई।
  • भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता का मामला
    ग्राम पंचायत रजगामार की सरपंच रमूला राठिया और सचिव ईश्वर धिरहे पर वित्तीय गड़बड़ियों की शिकायत जिला पंचायत कोरबा द्वारा एसडीएम कार्यालय को भेजी गई थी। जांच के दौरान पाया गया कि कुल ₹1,56,00,079 (एक करोड़ छप्पन लाख उन्यासी रुपये) की वसूली योग्य राशि निर्धारित की गई। इन आरोपों को जन कल्याण कार्यों में बाधा और शासन की छवि को धूमिल करने वाला माना गया।
  • शिकायत के आधार पर की गयी जांच प्रक्रिया
    शिकायत के आधार पर एसडीएम कार्यालय ने सरपंच के खिलाफ छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत प्रकरण दर्ज कर कारण बताओ नोटिस जारी किया। हालांकि, सरपंच द्वारा संतोषजनक उत्तर या कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। मामले की गहराई से जांच के लिए एक 9-सदस्यीय दल का गठन किया गया, जिसमें तकनीकी सहायक और करारोपण अधिकारी शामिल थे। जांच दल ने मौके पर निरीक्षण कर पाया कि ₹83,94,940 के विकास कार्य बिना किसी तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृति के किए गए थे।
    इसके अलावा, ₹72,05,139 की राशि का उपयोग बिना उचित दस्तावेजी प्रमाण के किया गया। जांच में पाया गया कि कैशबुक और बिल-वाउचर का सही ढंग से संधारण नहीं किया गया। इस पर प्रशासन ने कड़ी कार्यवाही करते हुए सरपंच को उनके पद से हटा दिया।
    विकास कार्यों में बाधा और शासन की छवि पर असर पंचायत की 15वें वित्त और मूलभूत निधियों का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विकास करना होता है। लेकिन, इन निधियों का दुरुपयोग कर ग्राम पंचायत के विकास कार्यों में बाधा पहुंचाई गई। यह शासन की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला मामला साबित हुआ। न्यायालय ने सरपंच को उनके पद से हटाने और आगामी छह वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर पंचायत राज अधिनियम के तहत कड़ा संदेश दिया है। इस कार्यवाही ने पंचायतों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता को दोहराया है।

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