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प्रदेश का लोकपर्व छेरछेरा मनाया जाएगा 13 जनवरी को…सुबह से छेरछेरा मांगने निकलेगी बच्चों की टोली

प्रदेश का लोकपर्व छेरछेरा मनाया जाएगा 13 जनवरी को

  • ग्रामीण सहित अंचल में रहेगी धूम
  • सुबह से छेरछेरा मांगने निकलेगी बच्चों की टोली
    कोरबा । भारत त्यौहारों का देश है और यहां हर साल, हर माह, हर राज्य में तिथि अनुसार कई तरह के त्यौहार मनाए जाते हैं। वैसे ही प्रत्येक प्रांतो में अलग-अलग पर्व भी मनाया जाता है। भारत में मनाए जाने वाले हर त्यौहार और लोक पर्व के पीछे कोई ना कोई ऐतिहासिक कहानी होती है, जिसमें हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत की झलक देखने को मिलती है, जो पीढियो से हमारे देश में मनाए जा रहे है।
    ऐसा ही एक लोक पर्व छेरछेरा है, जो मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है। छेरछेरा पर्व पौष पूर्णिमा के दिन छत्तीसगढ़ में बड़े ही धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल छेरछेरा 13 जनवरी सोमवार को मनाया जाएगा। इसे छेरछेरा पुन्नी या छेरछेरा तिहार भी कहते हैं। इसे दान लेने-देने का पर्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन दान करने से घरों में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती। इस दिन छत्तीसगढ़ में बच्चे और बड़े, सभी घर-घर जाकर अन्न का दान ग्रहण करते हैं और युवा डंडा नृत्य करते हैं।
    इस पर्व को मानते हुए बच्चों और बड़े बुजुर्गों की टोलियां एक अनोखे बोल, बोलकर दान मांगते हैं। दान लेते समय बच्चे ‘छेर छेरा माई कोठी के धान ला हेर हेरा’ कहते हैं और जब तक घर की महिलाएं अन्न दान नहीं देती, तब तक वे कहते रहेंगे ‘अरन बरन कोदो दरन, जब्भे देबे तब्भे टरन’। इसका मतलब ये होता है कि बच्चे कह रहे हैं, मां दान दो, जब तक दान नहीं दोगे, तब तक हम नहीं जाएंगे।

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