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KORBA;-23 लाख के तालाब के निर्माण के नाम पर भारी गोलमाल, उठे कई सवाल….वन विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली से सुशासन पर ग्रहण…

23 लाख के तालाब के निर्माण के नाम पर भारी गोलमाल, उठे कई सवाल

वन विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली से सुशासन पर ग्रहण

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कोरबा। सरकार चाहे कोई भी हो वन विभाग में जंगलराज हमेशा से हावी रहा है। अपनी कारगुज़ारियों के लिए एक बार फिर वन विभाग सुर्खियों में आ गया है। ना खाऊंगा ना खाने दूंगा के राज में अधिकारियों ने साय सरकार के सुशासन के दावे पर ग्रहण लगा दिया है। तालाब बनाने भ्रष्टाचार की नदिया ही बहा दी है। वन परिक्षेत्र के रेंजर और जांच अधिकारी एसडीओ की भूमिका सवालों में घेरे में है।
मामला वन मंडल कोरबा के वन परिक्षेत्र कोरबा अंतर्गत ग्राम पंचायत नकटीखार में बासबाड़ी के पीछे और मेडिकल कॉलेज के सामने और खरमोर का है। यहां छत्तीसगढ़ शासन वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के माध्यम से वन मंडल कोरबा ने तालाब बनाने का काम किया है। तालाब के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। तालाब की लागत 23 लाख 55 हजार 625 रुपया बताया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि जिसमें वन परिक्षेत्र रेंजर के द्वारा तालाब के नाम पर लाखों का भ्रष्टाचार किया गया। तालाब बनाने से पूर्व उस जगह पर पहले से नाला बना हुआ था और नाले का उपयोग करते हुए रेंजर ने बड़ी चालाकी से उसे तालाब में तब्दील कर दिया। भ्रष्टाचार कर रेंजर व एसडीओ ने साय सरकार के सुशासन पर ग्रहण लगाने का काम किया है। भ्रष्टाचार वाले तालाब की लंबाई व चौड़ाई 75-75 मीटर होना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। जबकि तालाब की गहराई 4 मीटर होनी चाहिए, फिर भी ऐसा नहीं हुआ। तालाब के अंदर काली मिट्टी डालकर धुरमुश चलाना था, पर ऐसा भी नहीं किया गया। तालाब के चारों तरफ 10 परते सीढ़ी बनानी थी, लेकिन नहीं बनाई गई है। जबकि तालाब में पत्थर भी लगाना था, मगर यह भी नहीं लगाया गया। लेबर के माध्यम से भी काम होना था पर ऐसा नहीं हुआ है। सूत्रों की माने तो तालाब की लागत राशि लगभग 5 से 6 लाख रुपए में हो जाना था। जबकि लागत राशि 23 लाख 55 हजार 625 रुपया बताया गया है। सूत्रों की मानें तो तालाब निर्माण से पूर्व घना जंगल रहा है। चारों तरफ जंगल ही जंगल दिखाई दे भी रहा है। एसडीओ ने मौके का स्थल निरीक्षण किया होगा। सूत्रों ने बताया कि तालाब बनाने पर अधिकारियों का कमीशन 35 से 40 प्रतिशत मिट्टी के कार्य में काम होने के बाद लेना बताया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि तालाब के भौतिक सत्यापन होने से कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। सुशासन सरकार को बदनाम करने की मंशा रखने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही होनी चाहिए। तालाब का कार्य कैंपा मद से वर्ष 2024 – 25 में होना बताया जा रहा है। प्रदेश में भाजपा की सरकार भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे के साथ सुशासन तिहार चला रही है। दूसरी ओर वन विभाग के अधिकारी सुशासन पर बट्टा लगाने का काम कर रहे हैं। खास बात तो यह है कि भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों पर सुशासन की सरकार की कार्रवाई का डंडा भी नहीं चला रही है। तालाब निर्माण के नाम पर लाखों रुपए के वारे न्यारे करने वाले रेंजर और एसडीओ की भूमिका पर संदेह के दायरे ।

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