उल्लंघन को संरक्षण देते रहे,कलेक्टर सख्त हुए तो नींद से जागे,देखें…!कब तक चलेगा यह
0 राखड़ वाहनों पर कार्रवाई, किन्तु डाला बॉडी बढ़ाने वालों पर फिटनेस की मेहरबानी
0 कार्रवाई के मामलों में दोहरा मापदण्ड अपनाता परिवहन अमला और उड़नदस्ता
कोरबा। प्रशासनिक शीर्ष अधिकारी यदि चुस्त हों तो अधीनस्थ अमले को दुरुस्त होना ही पड़ता है। नवपदस्थ कलेक्टर अजीत बसंत जो कि अपने प्रशासनिक सेवा के दौरान अव्यवस्थाओं से भली-भांति परिचित रहे हैं, उनकी कोरबा जिले में पदस्थापना के 10 दिन के भीतर ही जो कुछ परिवर्तन देखने को मिल रहा है,वह आम जनता की ओर से प्रशंसनीय है।
शहर और जिले की सबसे बड़ी समस्या राखड़ परिवहन में नियमों का उल्लंघन बनी हुई है। इस तरफ अनेकों बार प्रमाण सहित खबरों का प्रसारण किया गया और जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान आकर्षण भी कराया जाता रहा लेकिन अपने दायित्वों के प्रति निष्क्रिय अधिकारी और मैदानी अमले की बदौलत राखड़ परिवहन करने और इस दौरान आमजन की परवाह न करने वाले तथा कहीं भी राखड़ को फेंक कर इंसानों और बेजुबानों के जीवन पर संकट उत्पन्न करने वालों पर कार्यवाही होती नजर नहीं आई। इसके पीछे कारण और लाचारी तो अधिकारी ही समझें लेकिन अब जबकि नवपदस्थ कलेक्टर ने सख्ती बरती है तो अमला नींद से जगा है। धड़ाधड़ जांच पर जांच, जुर्माना पर जुर्माना हो रहा है। परिवहन विभाग, पर्यावरण विभाग और उड़न दस्ता के द्वारा इस तरह की अनियमितताओं और उल्लंघन को जहां क्लीन चिट दी जाती रही वहीं अब वह कार्रवाई करने को मजबूर हो गए हैं। यह सब सिर्फ प्रशासनिक अधिकारी की कर्तव्य निष्ठा और चुस्त कार्यशैली का प्रमाण है। दूसरे विभागों में भी इसी तरह के भर्राशाही चल रही है जिस पर भी आने वाले दिनों में सुधार देखने को निश्चित ही मिलेगा,ऐसी अपेक्षा जनता की कलेक्टर से है।
कलेक्टर अजीत बसंत के निर्देश पर आरटीओ शशिकांत कुर्रे ,एसडीएम कोरबा श्रीकांत वर्मा द्वारा राखड़ परिवहन करने वाले वाहनों पर सघन जांच जारी है। बिना तिरपाल ,बिना रिफलेक्टर ,बिना फिटनेस के संचालित राखड़ वाहनों पर कार्यवाही की गई। रात्रि में सड़क किनारे अवैध डंपिंग कर पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले ऐसे वाहन चालकों पर नजर रखी जा रही है जो नियमों को ताक पर रख कर राखड़ परिवहन कर रहे हैं। उड़नदस्ता टीम द्वारा आज अभी तक 32 गाड़ियों से 37000 रुपये की जुर्माना राशि वसूल की गई। इसके पहले दिन टीम द्वारा 12 राखड़ लोड गाड़ियों पर कार्रवाई 18000 रुपए शास्ति राशि वसूल की गई। जांच और कार्रवाई यह बताने के लिए काफी है कि नियमों का किस कदर उल्लंघन होता रहा है। यदि अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा दिखाई जाती तो इस तरह की नौबत शायद ही आती और ट्रांसपोर्टर भी नियमों से चलते। अब देखना यह है कि कलेक्टर की सख्ती का असर इन अधिकारियों पर कब तक रहेगा और वह पूरे नियम कायदों का पालन कराते हुए वाहनों को सड़कों पर चलाने के लिए किस हद तक सक्रिय रहेंगे…?
0 चक्का उठाकर, डाला बॉडी ऊंचाकर ओव्हरलोड को छूट,सड़कों का दम निकल रहा
एक तरफ जब परिवहन अमला राखड़ वाहनों पर कार्रवाई कर रहा है तो दूसरी तरफ भारी वाहन चक्का उठा कर चलते हैं। वाहन निर्माता कंपनी के द्वारा निर्धारित ऊंचाई और भार वहन क्षमता के साथ तैयार कर बिक्री किए गए डाला बॉडी के ऊपर अतिरिक्त ऊंचाई बढ़कर ओवरलोड कर चलने वाले वाहनों पर नरमी दिखाई जा रही है। ऐसे ओवरलोड वाहनों के कारण परिवहन नियमों का सरासर उल्लंघन हो रहा है और आश्चर्य की बात यह है कि ऐसे वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र भी परिवहन विभाग से दे दिया जाता है। जितनी भार वहन क्षमता है, उतना ही परिवहन होना चाहिए ना कि इससे ऊपर और अधिक ओवरलोड। सभी चक्कों का बराबर भार सड़क पर ना पड़ने के कारण सड़कों का दम घुटकर वे टूट-फूट का शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा अधिकांश भारी वाहनों में ट्रांसपोर्टरों ने हेल्पर रखना बंद कर दिया है। वाहनों का ज्यादा से ज्यादा फेरा लगाकर अधिक से अधिक परिवहन करने के चक्कर में चालक अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते और ऐसे में कई बार नींद के झोंके में हादसे हो जाते हैं। इस तरह की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं लेकिन वाहनों में यदि हेल्पर भी रहे तो चालक को मदद हो सकती है। ट्रांसपोर्टर के द्वारा परिवहन नियमों का कई तरह से उल्लंघन किया जा रहा है किंतु इसका पालन कराने वाला अमला जागती आंखों से भी सोकर सबको नजरअंदाज किए हुए है। कई भारी वाहनों में तो हेडलाइट एक तरफ ही जलती नजर आती है।