निगम का चोरी का लोहा खरीद रहे कबाड़ी,रिपोर्ट लिखाने फुर्सत नहीं..
0 CSEB चौक से शारदा विहार का सौन्दर्यीकरण खतरे में
कोरबा। नगर पालिक निगम के द्वारा क्षेत्र अंतर्गत प्रमुख इलाकों को सौन्दर्यीकरण करकर चकाचक कराया जा रहा है। रास्ते से गुजरने वाली आम जनता को अच्छी फीलिंग हो और शहर भी सुंदर व साफ-सुथरा दिखे, इसके लिए लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
इसी क्रम में निगम द्वारा सीएसईबी चौक से लेकर सारदा विहार तिराहा तक बाई तरफ सौन्दर्यीकरण का कार्य जारी है जिसके लिए लगभग करोड़ रुपये या इससे कुछ अधिक की राशि खर्च होनी है। अभी भी यहां गार्डनिंग करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ इसकी रेलिंग भी लगाई गई है। सीएसआईबी चौक से शारदा विहार तिराहा तक रेलिंग लगाने के लिए सुंदर रेलिंग लगाई गई है, इसके ऊपरी भाग को नुकीला डिजाइन किया गया है, लेकिन इसका ऊपरी हिस्सा रेलिंग का शिकार बन रहा है। जगह-जगह से और काफी मात्रा में लोहे के बर्तनों को प्रेमियों के पास खींचा जा रहा है। जुगलबंदी का काम करने वाले चंद डिपार्टमेंट कॉर्पोरेशन का चोरी का लोहा खरीद कर चंद रुपए की कीमत पर बेचने वाले को दे रहे हैं और इस पैसे से नशा कर छोटे-बड़े चोरियों को अंजाम दिया जा रहा है।
ऐसा भी नहीं है कि निगम के संबंधित जोन अधिकारी अथवा मैदानी अमले को इसकी जानकारी ना हो या रास्ते से गुजरते वक्त उनकी नजर सौन्दर्यीकरण में हो रही चोरी पर ना पड़ रही हो लेकिन उन्हें इतनी फुर्सत नहीं कि इस मामले की रिपोर्ट थाना में दर्ज कराएं या शिकायत दें।
दरअसल अभी यहां सौन्दर्यीकरण का काम 60% ही पूरा हो पाया है और बहुत कुछ काम होना शेष है लेकिन लगने वाली राशि नगर निगम की होने से पूरा निर्माण ही सरकारी है। ऐसे में सरकारी संपत्ति की सुरक्षा का दायित्व जिम्मेदार अधिकारियों का भी होता है लेकिन देखा जा रहा है कि जोन प्रभारी अपने-अपने क्षेत्र में निगम की संपत्ति की सुरक्षा के दायित्व से मुंह मोड़े हुए हैं। यही कारण है कि जब नगर निगम ने जगह-जगह कूड़ेदान की स्थापना की तो आज वहां सिर्फ लोहे का ढांचा खड़ा नजर आता है और कई जगह तो यह ढांचे काट पीट कर चोरी भी कर लिए गए हैं। इनकी कोई गिनती अधिकारियों के पास भी नहीं है और ना ही वे इसके प्रति कोई गंभीरता दिखा रहे हैं। जनता के द्वारा संपत्ति कर और विभिन्न करों के रूप में नगर निगम को राजस्व प्रदान किया जाता है और राजस्व का यही एक बड़ा हिस्सा विभिन्न सुविधाओं पर खर्च होता है लेकिन निगम के अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह निर्माण कार्य कहीं जाने अनजाने में तो अधिकांश जगहों पर जानबूझकर तोड़फोड़ कर अपने-अपने हिसाब से लोगों के द्वारा उपयोग में लाए जा रहे हैं। ऐसे लोगों की विरुद्ध नगर पालिक निगम अधिनियम के तहत निगम की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की कानूनी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। अब सवाल यह है कि जब अधिकार सम्पन्न जिम्मेदार अधिकारी ही सरकारी संपत्ति को लुटाने और नष्ट करवाने पर तुले हों तो भला कार्रवाई कौन कराएगा?